Monday, 16 April 2012

                                          तंवर वंशावली 


                                                अर्जुन के सूत सो भये अभिमन्यु नाम उदार !
                                                तिन्हते उत्तम कुल भये तोमर क्षत्रिय उदार   !

इस वंश का नाम महाभारत की बाद आया !कहा जाता है की सृष्टी की रचयता भगवन विष्णु से कमल की उत्पत्ति हुई !कमल से ब्रह्मा,ब्रह्मा से अत्री,अत्री से चंद्रमा की उत्पत्ति मानी जाती हैं !चंद्रमा से वंश आगे बढ़ने की कारन यहाँ वंश 'चन्द्रवंश'कहलाया !
     चंद्रमा की तीसवी पीढ़ी मैं परम प्रतापी कुरु का जनम हुआ,इसी कारन ये वंश आगे 'कुरु वंश'से जाना जाने लगा !कुरु वंश की 14 वि पीढ़ी मैं पाण्डु का जनम हुआ !तंवर वंश की उत्पत्ति की बारे मैं तारक व् कथ्य प्रचलित हैं:-
{1}पांडव वंसी अर्जुन ने नागवंशी क्षत्रियो  को अपना दुश्मन बना लिया !नागवंशी क्षत्रियो ने पांड्वो को मारने का प्रण ले लिया था,पर पांडवो के राजवेध धन्वन्तरी के होते हुए वे पंडो का कुछ न बिगड़ पाए !अतः उन्होंने धन्वन्तरी को मर डाला !इसके बाद अभीमन्यु पुत्र परीक्षित को मार डाला !परीक्षित के बाद उसका पुत्र जन्मेजय राजा बना !अपने पिता का बदला लेने के लिए जन्मेजय ने नागवंश के नौ कूल समाप्त कर दिए !नागवंश को संपत होता देख उनके गुरु आस्तिक जो की जत्कारू के पुत्र थे,जन्मेजय के दरबार मैं गए व् सुझाव देय की किसी वंश  को समूल नस्त नहीं किया जाना चाहिए व् सुझाव दिया  की इस हेतु आप को यग्य करे !महाराज जन्मेजय के पुरोहित कवष के पुत्र तुर इस यग्य की अध्यक्ष बने !इस यग्य मैं जन्मेजय के पुत्र,पोत्र अदि दीक्षित हुए !क्योकि इन सभी को तुर ने दीक्षित किया था इस कारन ये पांडव तुर,तोंर या बाद मैन्तान्वर या तोमर कहलाने लगे !
                                                                                      [राजपूत वंशावली पृष्ठ 228 ]
                                                                                      लेखक - ठा.इश्वर सिंह मठाथ

{2}कुछ विद्वानों का मत है की तुर,तुंवर,तोंर,तोमर,तंवर अदि का जैन साहितिक भाषा मैं अर्थ होता हैं 'सर्वोच्च'चुकी अदि काल से इन्द्रप्रस्त की गद्दी को सर्वोच्च माना गया था !अतः इनके वंसज तुंवर,तोंर,तोमर,तंवर अदि कहलाये !

{3}बद्वो की भाई की अनुसार तुन्ग्पाल(तोमरपाल)के वंसज तोमर या तंवर कहलाये ![क्षत्रिय  राजवंश भाग - 3 के प्रस्ट 35 पर तुन्ग्पाल का वंश बड्वो के अनुसार इस प्रकार हैं :-

अर्जुन-अभिमन्यु-परीक्षित-जन्मेजय-अश्वमेघ-दलीप-छत्रसाल-चित्ररथ-पुस्त्सल्य-उग्रसेन-कुमार-सेन-भवनती-रणजीत-रिशिक-शुख्देव-नरहरिदेव-सुचिरथ-शूरसेन-दलीप 2 -पूरनमल-कदरबिन-आप्भिक-उदयपाल-यदुन्पल-ध्यात्राज-भीमपाल-शेमक-रंक्षामी-पुरसेन-बिसरवा-प्रेमसेन-सजरा-अभयपाल-वीरसाल-अमर्चुड-हरिजिवी-अजीतपाल-सरपदन-वीरसेन-महेशदत्ता-महानिभ-समुद्रासेन-शत्रुसाल-धरमध्वज-तेजपाल-बालिपल-सहायपाल-देवपाल-गोविन्दपाल-हरिपाल-गोविन्दपाल द्वितय-हरसिंहपाल-अमृतपाल-प्रेमपाल-हरिश्चंद्र-महेंद्रपाल-छत्रपाल-कल्याणसेन-केशवसेन-सोमचंद्र-रघुपाल-नारायण-भानुपाल-परमपद-दामोदरसेन-चतारशल-महेसपाल-ब्रजगसेन-अभयपाल-मनोहरदास-सुखराज(तंगराज)-तुन्ग्पाल(तोमरपाल)-अनाग्पल तोमर !
   
        इस प्रकार तुन्ग्पाल के पुत्र अनाग्पल तोमर व् वंसज तोमर व् तंवर कहलाये !
     
        इस प्रका तोमर(तंवर) वंश क्षत्रियो के पूर्वज अनंगपाल प्रथम से पूर्व का इतिहास अंधकार मैं हैं !बड्वो की बही के अलावा किसी ताम्र पत्र ,शिलालेख या साहित्य मैं उल्लेख नहीं मिलता परन्तु परम्परा और बड्वो के अनुसार यह स्पस्ट हो जाता हैं की तंवर पाण्डु पुत्र अर्जुन के वंसज हैं !तन्वारो का चन्द्र वंसी होना क्षत्रिय भास्कर,प्रथ्वीराज रासो ,बीकानेर वंशावली, से पता लगता हैं !कर्नल तोड़ ने भी tanwaro को चंद्रवंशी माना हैं !